ख्वाहिशों का मोहल्ला बहुत बड़ा होता है!
बेहतर है हम ज़रूरतों की गली में मुड़ जाएँ!
पड़े हालात के हाथों में तो मन टूट जाता है
जवानी में कदम रखते ही बचपन रूठ जाता है
विदा होती है जब लड़की तो सारा गाँव रोता है
शहर हँसकर गये लड़कों का आँगन छूट जाता है
तुमसे मिलने की चाहत कैसे कहे।
जमाना रिश्तों की जंजीरों में बांधने को कहता है।
जब से जाना है तू भी रूबरू है मेरे लिए।
न जाने क्यों दिल बेचैन सा रहता है।
आपने सही कहा बदल गया हूँ मैं।
अंजान सी राह पर ठहर गया हूँ मैं।
मेरे हिस्से में हर वक़्त उम्मीदें आई है।
मेरे लिए जो बना है,उस शहर गया हूँ मैं।
अभी मशरूफ हूँ काफी, कभी फुर्सत में सोचूंगा!
कि तुझे याद रखने में, मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ!
तू क्या है कैसा है ये बातें फ़िज़ूल है!
तू जो है जैसा है मुझें तू क़ुबूल है!
निहारता हूं जब मैं तुझे टकटकी सी लगाकर!
यकीं मानिए बाकी सब धुंधला सा हो जाता है!
आशिकी और 11th की science
शुरू में ही बड़ी अच्छी लगती है ❤️🥲
जज़्बात,
जेब,
और जूता,
हमेशा मज़बूत रखिए..
आजकल इंसान सीधा सुनता नहीं है..!!
गुज़ारिश है ज़िन्दगी से बस !
रफ़्तार थोड़ी बढ़ा कर चले!
मेरी खामोशियों का लिहाज़ कीजिये!
लफ़्ज़ आप से बर्दाश्त नही होंगें!
प्रेम का बंधन हो तो ऐसा हो…
जो समंदर और लहर के जैसा हो!
मैं छू पाऊँ तो तुझको पाऊं…
तुम छू पाओ तो मैं तुझमे समा जाऊं!
दिल टूटा रात और सुब्ह काम पर हैं हम
मातम मनाने की मुझे मोहलत ही नहीं है
आदमी परखने की ये भी एक निशानी है…
गुफ्तगू बता देती है कौन खानदानी है…!!
तारीफ खुद की करना फिजूल है,
खुशबू खुद ही बता देती है कौन सा फूल है.
तेरी इबादत का कुछ यूं असर आता है।
आंखे बंद करते ही तेरा चेहरा नज़र आता है।
तुम एक ख़्वाब हो
जिसे मैंने लफ्जों में पिरोया है।
मैं वो हक़ीक़त हूँ,
जिसने ख़ुद को हर लम्हा खोया है।
थोड़ा धैर्य रखिये
प्रेम के हक़दार आप भी है।
कोई तुमसे इतना प्रेम करेगा
की प्रेम कर – करके
तुम्हारा नुक़सान कर देगा .
तुम कुछ कह भी नहीं पाओगे,
हर आघात के बाद वह पूछेगा ।
तुम प्रेम में थी
नफा नुकसान देखते हो ..?
ये कागज़ के टुकड़े हैं किसी को ख्वाहिश से नज़र आए
इन्हें छुपा के कहां रखें हमें तो ये सांस ही नजर आए
खैर अभी तो चल रहा हूं फ़र्ज़ निभाना है मेरे पीछे कतार का
बुरा तो तब होगा जब इन टुकड़ों से कोई मेरा कफ़न भी नहीं लाए
लोगों का क्या है लोग तो हमारी वफ़ा से चिढ़ते हैं,
इक हम दिल के मरीज जी नहीं सकते तुम्हारे बिना ..!!
अपने दिल की बातें अपने तक रखा करो,
ये दुनिया मतलबी है हमदर्द किसी का कोई नहीं …!!
सत्य कहो स्पष्ट कहो, कहो ना सुंदर झूठ,
चाहे कोई खुश रहे, चाहे जाए कोई रूठ..
बेताब आँखे,
बेचेन दिल,
बेपरवाह साँसे,
बेबस जिन्दगी,
बेखबर तुम……❤️
बेहद तन्हा हम…
नाराज़ हुईं बैंठी है हमसे,
लोग जिसे किस्मत कहते हैं…!!!
लूंगा हिसाब हर बेचैनी का।
मैं भी मोहब्बत कर मुकर जाऊंगा।
मुझे तुमसे कुछ नही चाहिए!
फ़क्त इतना ध्यान रखना,
अगर ज़िन्दगी से थक कर कभी रो पडूँ।
तो पहला कन्धा तुम्हारा हो।
दर्द दो तरह के होते है,
एक आपको तकलीफ देते है,
एक आपको बदल देते हैं.
लाख अपना लो जुगत बचने की पर
वक़्त की लाठी से बच पाओगे क्या!
एक रोज उसे मोहब्बत की निशानी दूंगा।
पहला तोहफ़ा उसे, पायल खानदानी दूंगा।
मैं तुझे हर सफ़र हमसफ़र चाहता हूं।
तेरी हर तकलीफ़ में, मेरे कंधे पर तेरा सर चाहता हूँ।
Negativity एक ऐसी भयानक बीमारी हैं
जो जिन्दा इंसान को मुर्दा बना देती हैं 💯
इतना चाहने के बाद तो पत्थर भी अपने हो जाते हैं,
पता नहीं उस इंसान को कितनी भूख है मतलब की…
हमने किसी की वफ़ा का इंतेज़ार ही नहीं किया
जो हमारा फर्ज है वो हमने वक़्त पर निभाया है…
गर होता बाक़ी कोई तरीका तुझे पाने का!
एक अजमाइश की ख्वाइश हम भी रखते है।
मैं सब कुछ हार बैठा हूँ,
जब से आपसे रूबरू हुआ हूँ!
थक गए लफ्ज़ जिसे लिखते लिखते,
वो एक मुस्कुराहट से न जाने क्या क्या कह गए।
कहीं जिंदा भी है वो प्रेम,
जिसके बदले प्रेम की आवश्कता न हो।
रंग लाल चढ़ा है खूब उसके हाथों में।
रंग लाल हुआ है ख़ूब उसकी आँखों में।
तेरी हरकतों पे हारा हूँ,
यूँ ही थोड़ी न आवारा हूँ।।
बरकरार रखो अपनी नफ़रतें ,
ज़िन्दगी मैंने कौन सा ज़िन्दगी भर जीनी है!
जिंदगी का सबसे बड़ा राज ये है कि हम ये तो जानते हैं के हम किसके लिए जी रहे हैं,
लेकिन हम ये कभी नहीं जान पाते हैं कि हमारे लिए कौन जी रहा है
कह सकता हूँ मैं भी, अपना दर्द इस महफ़िल-ए-ख़ास में,
मग़र मैं जानता हूँ मेरा मलहम किसके पास है।
इश्क़ सांसों को ज़िन्दगी दे और इश्क़ ही फ़ना करे।
इश्क़ जोड़े खुदा से औऱ इश्क़ ही गुनाह करे।
बहुत कुछ छीना है ज़िन्दगी से तुमने।
अब मेरा वक़्त,मेरी बारी!!
एक वक्त ऐसा भी आता है जब हमें तय करना होता है कि सिर्फ पन्ना पलटा जाए या पूरी किताब बंद कर दी जाए ।
और इनमें से किसी एक चुनना बहुत मुश्किल होता है।
उसका एक ख़्याल कितनी बेचैनी दे जाता है।
गर वो हक़ीक़त में सामने हो,
ख़ुदा कहर मुझ पर गिराएगा।
बहाने बहाने पर लिखा है जाने वाले का नाम!
मेरी सूरत थोड़ी नासाज सी है।
शब्दो का जादूगर कहते है मुझे।
मेहंदी के हाथों पर लाल चूडियां बेमिसाल लग रही है!
अब चूड़ी देखू या मेहंदी दोनो बवाल लग रही है!!
तुम्हे किस बात का मलाल है।
जो तेरा हाल है,वो ही मेरा हाल है।
मैं शून्य की तरह रहूँगा!!
जीवन भर तुम्हारे पीछे तुम्हारी कीमत बढ़ाते!!
कोई बहाने नही अब!
घर सजाने नही अब!
तुम जब से गयी हो!
मेरे जमाने नही है अब!
मैं ज़िन्दगी को गिरवी रख दूँ!
तू मुस्कुराने की कीमत तो बता सही!!
मैं दिन भी सोना शुरू कर दूं!
तू ख्वाबो में आ तो सही !!
मेरे बहकावे में मत आना तुम!!
बहुत तड़पा और तरसा के छोड़ा गया हूं!!
मैं सहमत हूँ इश्क़ की बात से,
तेरे मुस्कुराने और पहली मुलाकात से,
मेरे इश्क़ कहने पर उसका शरमाना,
मोहहबत्त में मुझे ज़िंदा सा रखता है।
तेरी आँखों में देखूँ तो लब ऐसे शिकायत करते है।
जैसे भरी कचहरी में वकील जज से वक़ालत करते है।
ख़ुदा ने मुझसे हँसकर कहा,बड़ा खुदगर्ज है तेरा महबूब!
तेरी हर दुआ पर मेरे क़बूल कहने पर भी तेरा नही हुआ!
मुलाक़ातों में ज़रा सा फासला रखिये!
गर प्रेम है जनाब तो थोड़ा धैर्य रखिये!!
कोई सीने से लगा कर कह दे,
कि तू मेरा है!
तो मेरा भी ये तन्हा होना क़ामिल हो जाए।
वो जो आज मेरा सुकून छीन के बैठी है!
कभी मेरे सीने में हमारे घर का नक्शा बनाती थी!!
इधर उधर से ना रोज यूँ तोड़िये हमको,
अगर खराब बहुत हैं तो छोड़िये हमको,
कुछ तो हसरत है बाकी है शायद,
यूं नही दर बदर हर सख्श में तलाशते है तुझे ।
नफ़रत के जहां का अंत होता है जहाँ!
नाम लिख के आया हूँ तेरा वहाँ!
मुझे आस पास महसूस करते ही,
वो काफ़ी बेचैन सी हो जाती है!
सिर्फ़ आंखों आंखों में होती है बातें,
लफ्ज़ खामोश औऱ जुबां मौन हो जाती है!
बिना छुए ही तुम्हें छू कर आना,
मेरे लफ़्ज़ों को यही एक हुनर आता है!
कागज़ पे तो अदालत चलती है साहब,
मैंने तो उसकी आँखों के फ़ैसले मंज़ूर किये है।
अदालत कहाँ मैं वो कटघरा निकला,
जिसपे हर किसी ने अपनी अपनी दलीलें दी है।
वो जो तुम मेरे कॉल को यूं नज़रन्दाज़ करके मुस्कुराती हो!
एक रोज ख़ुदा तुम्हें भी ऐसी ही मोहहबत्त नवाज़े!
जो मोहहबत्त औऱ नौकरी दोनों हार जाए!
कहो वो इंसान कैसे मुस्कुराए!
हर रोज़ जिसे मैं खोता हूँ,
हर रोज़ उसे पाने का ख़्वाब देखता हूँ!
प्रेम और नफ़रत से परे गर कुछ होता है!
तो वो एहसास होते है।
एहसासों का रिश्ता बहुत गहरा होता है।
मुझको हराना बेहद आसान है,
तरकीब बताऊं
बस प्यार के दो बोल बोल दो
फिर क्या
मैं तो सब कुछ हार जाऊं…!!
रूबरू होने की तो छोड़िए लोग गुफ्तगू से भी कतराते है ,
गुरूर ओढे है रिश्ते अपनी हैसियत पे इतराने लगे है …!
जमाना जीतने की ख्वाइश नहीं है मेरी!
तुम पढ़कर मुस्कुरा दो बस यही चाहता हूँ मैं!
हम तो बस रिश्ते ना निभाने पर अफ़सोस कर ही रहे थे
और इस बीच में कुछ लोग ईमानदारी से बेइमानी कर गए
दलीलों भरे इश्क़ से तो सुकूँन भरी खामोशी अच्छी है!
बहुत सारे एहसासों में एक खुशनुमा एहसास है
ज़रूरत पर तुम्हें अपने सबसे क़रीब महसूस करना!
जिससे नाराज़गी उसी से बात करने का मन!
कमबख्त दिल का ये पागलपन कभी समझ ना पाए हम!
प्रेम का कोई रुप नही होता!
जब किसी की अनुभूति स्वयं से भी अधिक अच्छी लगने लगे तो वो प्रेम है!
क्यों कैसे का जवाब बहुत मुश्किल हो गया मेरे लिए!
मोहहबत्त हार के यूं लगता जैसे जहाँ हार गया!
ख़्वाब सा एहसास बनकर आते हो तुम!
दूसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम!
जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से मुझे!
फिर भी हर बार तन्हा छोड़ जाते हो तुम !!
शब्दों के लहज़े , वफ़ादारी बता देते है!
नादान होते है वो बच्चे , जो जल्दबाजी में मोह्हबत जता देते है!
प्यार
जिसको आस है!
उसके लिए खास है!
अन्यथा बकवास है!!
कितना सफ़र तय करू, एक हमसफ़र के लिए!
सुना है वो बेहद खफ़ा है हमसे, हम भी तैयारी से आए है!
उन्हें मनाने के लिए एक जोड़ी चाँद वाले झुमके लाए है!
मैंने न जाने कितने सफ़र तन्हा रहा हूँ”
एक तेरा साथ पाने को!
बेशक़ इस मोहहबत्त का कोई नाम नहीं,
लेकिन इसकी गूंज हर कान तक है!
बीते कल को ख्यालों में
कितना ही समेट लो,
वो दुबारा वर्तमान नही बन सकता ।
धड़कनों में आते हैं बदलाव अज़ीब से….
ख़्यालों में गुज़रा ना करो इतने क़रीब से…!!
💫हसरत भरी निगाहों से यूँ न देखिये हमें ,
हम ख़ुद भी अधूरे हैं अधूरी ख़्वाहिशों के साथ💫
कांटे सारे मेरी तरफ,फूलों की बगिया तेरी तरफ,
धूप पसीना मेरी तरफ,हवा,परछाइयां तेरी तरफ।
और,
तुझे मिले खुशी तो सारा जहान वार दूं मैं,
ए मेरे यार,
सारे गम मेरी तरफ, सारी खुशियां तेरी तरफ।
तस्वीर रखने से तस्वीर वाला पास होता!
गर ऐसा कोई रिवाज़ होता!
आपका तो पता नहीं,
मैं बहुतों के पास होता!
हां माना मुझे उससे मोह्हबत नहीं है।
लेकिन साथ उसी का अच्छा लगता है।
बिछड़ने वाला देखो कैसे बिछड़ कर गया!
हमेशा याद रखने का वादा साथ ले गया!
लापता दिल का इश्तेहार दे दिया था मैंने भी अखबारों में।
इश्क़ से पहली दफ़ा नजर मिलायी थी जब।
दुनिया घूमी है मैंने।
सच कहूँ अकेलेपन सा सुकूँन कहीं नहीं!
मेरे सफ़र का जब भी आगाज़ होगा!
पहला ठहराव प्रयागराज होगा!
पहले लज्जा की लस्सी, फिर मूलचंद कचौरी,
बाकी बाद में सारा कामकाज होगा!
मेरा साथ देने का दावा करने वालों सुनो,
मैं अकेलेपन की जड़ तक अकेला हूँ!
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